पर्यावरण रक्षा एवं वर्षा जल संरक्षण
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अमृतादेवी पर्यावरण नागरिक संस्थान (अपना संस्थान) की स्थापना 3 जनवरी 2016 को हुई राजस्थान के इतिहास में सुवर्णाक्षरोंसे लिखी गयी जोधपुर के पास के खेजडली ग्राम की 1730 के दौरान अमृतादेवी विश्नोई और उनके तीन बेटियों सहित 363 लोगों द्वारा वृक्षों को बचाने के लिये
दिया गया बलिदान जैसे प्रसंगो से प्रेरणा लेकर संस्था का नाम रखा गया है।
संस्थान का उद्देश्य पर्यावरण संतुलन हेतु जन-जागरण करना और हरित क्रांति द्वारा पंच महाभूत को बचाना है। जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण मनुष्य एवं प्रकृति के संबंधों में आत्मिक भावों का अभाव है।
प्रारंभ में पौधारोपण को एक अभियान के रूप में चलाया गया। वर्ष 2017-18 में जल संरक्षण एवं स्वच्छता के कार्य को अभियान के रूप में किया जा रहा है। भावी योजना में जैविक कृषि, जल-वायू-ध्वनि प्रदूषण से मुक्ति, प्लास्टिक के न्यूनतम उपगोय आदि को यथासमय क्रियान्वित
किया जायेगा।
सन 2016 में ही अगस्त माह तक संपूर्ण राजस्थान में पंचायत स्तर तक पौधारोपण किया गया जिसमें 3,04,140 पौधे कुल 7209 गांवो में लगाये गये है। वर्ष 2017 में अगस्त तक 2 लाख पौधें लगाये गये जिनमें फलौदी, जालौर, भिलवाडा, बाडमेर, डीग, जोधपुर, कोटा, अजमेर तथा चित्तौड़गढ़ उल्लेखनीय है। खास बात ये है कि लगाये गये पौधों की 2-3 वर्ष तक देखभाल करने की व्यवस्था की जाती है।
वर्षा जल संरक्षण⪅न एक महत्वपूर्ण प्रयास है जिसमे भवन, फैक्टरी, नदी-तालाब, झील-बांध, कुए-बावडी, खेत इत्यादी स्थानों पर अत्यंत सरल विधी से छतों के पानी को बोरिंग, कुए या टैंक आदी में फिल्टर करके डाला जाता है।
संस्था का उद्देश्य है घर का पानी घर में, खेत का पानी खेत में, गाँव का पानी गाँव में रहना चाहिये। इससे पानी के में सुधार आयेगा तथा भूजल में पर्याप्त वृद्धी होगी। जल संरक्षण से पीने योग्य पानी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होगा।
विनोद मेलाना, सचिव, अमृतादेवी पर्यावरण नागरिक संस्थान (अपना संस्थान),
भीलबाड़ा, राजस्थान