जल संरक्षण को बनाना होगा जन आंदोलन : शेखावत
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– माउंट आबू के ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में जल जन अभियान का पीएम मोदी ने किया वचुर्अली उद्घाटन
– केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री बोले, भारत पानी पर सबसे ज्यादा निवेश करने वाला देश है
माउंट आबूू, 16 फरवरी। केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि पर्यावरण असंतुलन दरवाजे पर दस्तक दे चुका है। जल स्त्रोतों का संरक्षण ही इसका समाधान है। इसलिए जल संरक्षण को जन आंदोलन बनाना होगा।
गुरुवार को प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के सभागार में जल जन अभियान का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्चुअली उद्घाटन और समारोह को संबोधित किया। समारोह में केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि भारत में जो देता है, उसे देवता कहा गया है। इसलिए समुद्र, नदियों और पेड़-पौधों को पूजा गया है, ताकि व्यक्ति उससे जुड़ा रहे और उसमें एक जिम्मेदार नागरिक की भावना उत्पन्न हो सके, लेकिन कालांतर में यह भावना कहीं न कहीं कम हो गई। इसलिए इसे आंदोलन के रूप में फिर से खड़ा करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारी विश्वविद्यालय की इस तपोभूमि में इस अभियान के जरिए पांच हजार से ज्यादा वॉटर बॉडीज के लिए संरक्षण का संकल्प लिया गया है।
शेखावत ने कहा कि आज वैज्ञानिकों के लिए जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ी चुनौती है। पर्यावरण असंतुलन हमारे दरवाजे पर दस्तक दे चुका है और जल की उपलब्धता विश्व में सबसे बड़ी चुनौती है। भारत के लिए यह चुनौती और भी बड़ी है, क्योंकि हमारे पास धरती पर उपलब्ध जल का मात्र चार प्रतिशत पास है, जबकि दुनिया की 18 प्रतिशत आबादी भारत में है और बीस प्रतिशत से ज्यादा पशु आबादी है।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि हमारी चुनौती और भी बढ़ी है कि हम दुनिया की सबसे तेज बढ़ती आबादी है। हमें साल भर की जरूरत का जो पानी मिलता है, वह मानसून के कुछ दिनों में ही मिलता है। हमारी 65 प्रतिशत डिपेंडेबिलिटी भूजल से है। अति दोहन के कारण धरती का बीस प्रतिशत भाग को हमने खोखला कर दिया। हमारी अधिकांश नदियां मानसूनी है। दुनिया में शहरीकरण सबसे ज्यादा भारत में हो रहा है। इसके चलते पानी की मांग बढ़ रही है। जल के स्त्रोत प्रदूषित हो गए।
शेखावत ने कहा कि हमारे पास चार हजार क्यूबिक बिलियन लीटर पानी बारिश और नदियों से आता है, उसका आधा ही काम में लेने योग्य होता है, जबकि देश के सारे बांध से लेकर छोटे स्त्रोत में पानी को सहेजने की क्षमता तीन सौ बिलियन क्यूबिक लीटर है। जरूरत साढ़े सात सौ क्बूबिक की है। आबादी जिस अनुपात में बढ़ रही है, संकल्प के साथ काम करना प्रारंभ नहीं किया तो सीवर के पानी को सााफ करके पीना पड़ेगा। इसलिए हमारी जिम्मेदारी ज्यादा है।
केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री ने कहा कि भारत पानी पर सबसे ज्यादा निवेश करने वाला देश है। वर्तमान में भारत में चालीस बिलियन डॉलर पानी में निवेश किया गया है। गंगा के शुद्धीकरण के लिए प्रयास किए गए। यूएन ने पिछले एक दशक को डिकेड ऑफ रिस्टोरेशन मानते हुए उसके लिए प्रतियोगिता आयोजित की थी। इसमें से भारत का नमामि गंगे प्रोजेक्ट विश्व के टॉप फाइव में शामिल हुआ। उन्होंने कहा कि हमें विरासत में मिले हमारे जल संसाधनों को और भी अच्छा करने आगे की पीढ़ी को सौंपना होगा।
उन्होंने कहा कि दिव्य आभा युक्त “ब्रह्मकुमारीज” की यह पहल निश्चित ही जल संरक्षण में जन जागरण का एक नया प्रतिमान रचेगी। मुझे गर्व है और मेरा सौभाग्य है कि इस महा अवसर पर मैं उपस्थित रहा। समारोह में ब्रह्माकुमारीज के पदाधिकारी, पानी पर काम कर रहे अभिनेता पद्मश्री नाना पाटेकर, प्रसिद्ध गीतकार मनोज मुंतशिर और मेवाड़ के पूर्व राजधराने के लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ मौजूद रहे।