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जल प्रहरी जो समर्पित है हम सबके लिए, हम भी समर्पित हो जाएं

13anil sagarजल प्रहरी जीवन के प्रत्येक क्षण को समाज के प्रति समर्पित कर रहे हैं। उनके इस योगदान को राष्ट्रीय मंच पर समूचे ब्रह्रमांड के समक्ष रखा जाए यह यात्रा आधे से ज्यादा भरे गिलास के पानी को व्यर्थ फैलाते देखकर शुरू हुई। निश्चय किया गया कि जल संरक्षण के संपूर्ण ज्ञान को समझा जाए। ताकि मीडियाकर्मी होने के नाते इस दिषा में काम कर सकें।

पहली बार जल क्षेत्र में कार्य करने वालों से मुलाकात का सिलसिला जल पुरुष श्री राजेंद्र सिंह से शुरू हुआ, फिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कुछ साथियों से बात हुई। ज्ञात हुआ दिल्ली में तालाबों को पुर्नजीवित करने के लिए बहुत काम हो रहा है। भारत अरोड़ा जी ने सुझाया और आरएसएस के पर्यावरण गतिविधि प्रमुख गोपाल आर्य जी, श्री राकेश जैन, दीनदयाल रिसर्च इंस्टीच्यूट के श्री अतुल जैन से भी मुलाकात हुई हुई धीरे-धीरे कारवां बन गया। जल प्रहरी सम्मान कई मायने में अहम और पुण्य कार्य है।

जल शक्ति मंत्रालय की कई बार सीढ़ियां चढ़ी, जल सचिव श्री यूपी सिंह सिंह जी से मुलाकात हुई। संयुक्त सचिव नितेश्वर कुमार जी, निदेशक श्री गिरिराज गोयल जी और स्वयं जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत जी और सांसद श्री मनोज तिवारी से भेंट हुई। कई अन्य साथियों का भी उल्लेख करना आवश्यक है लेकिन यह सूची बहुत लंबी हो जाएगी। भाई चिराग पंचाल, अर्शिया इस्माइल, उमा शंकर पांडे, सुधांशु भाई, आदर्श महेंद्र लड्ढा सहित ऐसे कई मित्र है जिनका उल्लेख मैं करूंगा। नीति आयोग में कई वरिष्ठ अधिकारी जिनका मैं नाम जानबूझकर यहां यहां नहीं लिख रहा हूं लेकिन उनका योगदान भी जल प्रहरियों के लिए कमतर नहीं है। सभी ने पानी के काम को रुकने नहीं दिया। नदियां की भांति अविरल,ं थोड़ा ठहरते हुए ही सही लेकिन सब होता चला गया।

निस्वार्थ भाव से हम इस कार्य को कर रहे हैं। अमेया से कई दौर की चर्चा हुई और पूरी तैयारियों में एक बात समझ में आई की लालफीताशाही, तुरंत फैसले न होने से व्यवस्थाओं में बिखराव सभी जल संरक्षकों के लिए चुनौती है। इन लोगों को एक माला में पिरोना भी जरूरी है। यदि इन सभी जल संरक्षकों को एक स्थान पर लाया जाए तो संभव है इनकी व्यक्तिगत समस्याएं भुला कर हर गांव, घर को पानीदार और हर जल स्रोत को धरोहर बनाया जा सकता है।

जल प्रहरी के लिए जस्टिस श्री एसएस चैहान जी, पदमश्री डॉक्टर केके अग्रवाल जी, श्री अतुल तिवारी जी आल इंडिया रेडियो के एडीजी, डा डीके भल्ला सेवानिवृत्त आईएएस, श्री सुजीत बांगर सेवानिवृत्त आईआरएस, पंजाब केसरी ग्रुप संपादक श्री अक्कू श्रीवास्तव का भी बहुत योगदान मिला। इन सबसे ऊपर श्रीमती आम्रपाली साठे जी और श्रीमती राखी सिंह जी ने संयोजन, स्मारिका, स्मृति चिन्ह सहित सभी चर्चा, परिचर्चा आयोजन में सहयोग दिया। आयुष, भूमि और वंश वेदांत ने भी इससे सीखा होगा। उन्हें इस परंपरा को आप सभी के सहयोग से आगे बढ़ाना है।

बाल सखा अमेया साठे से बहुत कुछ सीखा और आगे बढ़े। वह पूरे कार्यक्रम के दौरान करीबन 36 हजार किलोमीटर चले। स्मारिका, कार्यक्रम की प्रस्तावना के तनीकी पहलुअेां को मेरी भावनाओं के समक्ष, क्षमा के साथ पढ़ते हुए सहयोग की कमाना करता हूं। सभी जल प्रहरियों का अभिनंदन, सरकारी टेल डाॅट काॅम एवं सहयोगी संस्थाओं का प्रयास सराहनीय है।