चिन्मय उदगीरकर, नासिक, महाराष्ट्र सचिव, नमामि गोदा
एक दशक से अध्कि समय से वे गोदावरी नदी के संरक्षण और कायाकल्प के लिए समर्पित हैं। गोदावरी और उसकी सहायक नदियों को बहाल करने के प्रयासों में प्रदूषण को कम करने, वनीकरण, नदी के किनारों की सपफाई और नदी के निरंतर प्रवाह को सुनिश्चित किया। यह यात्रा जारी है…

सोलापुर जिले के सांगली तालुका में कासलगंगा परियोजना के ब्रांड एंबेसडर के रूप में काम किया, जिसने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान अर्जित की। इस अभूतपूर्व पहल में एक मौसमी धरा को
बारहमासी नदी में बदला गया और इससे स्थानीय समुदाय के लिए एक स्थायी जल स्रोत को बनाया जा सका। जन भागीदारी को बढ़ाने और जमीनी प्रयासों में सक्रिय रूप से योगदान देने में
महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए इस परियोजना के माध्यम से स्थानीय आबादी के लिए पानी की कमी के दबाव वाले मुद्दे को प्रभावी ढंग से हल किया गया, जिससे बेहतर आजीविका और कृषि
विकास संभव हुआ। इससे वनीकरण हुआ और पर्यावरण संरक्षण भी संभव हुआ।
कोपर गाँव : गोदावरी नदी की सपफाई के लिए सतत प्रयास जारी हैं। नदी की सपफाई के लिए युवाओं के साथ मिलकर पिछले पांच वर्षों से निरंतर समुदाय-संचालित क्रियाकलाप करते
हुए प्रदूषण को कम करने और नदी की पवित्राता को बहाल करने के लिए काम कर रही है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी गोदावरी नदी के कायाकल्प प्रयासों को सम्मानित किया गया। सरकारी
योजना, चला जनुया नदीला ;चलो नदी से जुड़ेंद्ध के ब्रांड एंबेसडरः यह महाराष्ट्र सरकार और डाॅ राजेंद्र सिंह के नेतृत्व में जल बिरादरी की एक संयुक्त पहल है, जिससे पूरे राज्य में नदी संरक्षण पर व्यापक ध्यान आकर्षित किया है।
अभिनव जल संरक्षण परियोजना: मेरा जल बैंक
पानी की कमी से निपटने और भूजल पुनर्भरण को बढ़ावा देने के लिए मेरा जल बैंक पहल शुरू की। सरल, किपफायती वर्षा जल संचयन समाधन ने घरों को स्थायी जल प्रबंध्न में योगदान करने
के लिए सशक्त बनाया है।

ब्रह्मगिरी कायाकल्प: गोदावरी की पवित्राता के लिए एक दृष्टि
ब्रह्मगिरी की हरियाली, गोदावरी की पवित्राता के लिए ब्रह्मगिरी पहाड़ियों पर पौधरोपण, मिट्टðी के कटाव को रोकने और गोदावरी के अविरल प्रवाह को सुनिश्चित करने तथा क्षेत्रा में पारिस्थितिक संतुलन को बहाल करने पर है।
अविरल गोदावरी में बारहमासी प्रवाह हो इसके लिए पूर्णतय सक्रिय :
इन कार्यों से हजारों व्यक्तियों और समुदायों को महत्त्वपूर्ण रूप से लाभान्वित किया है। गोदावरी नदी के संरक्षण के उनके प्रयासों ने नासिक में पानी की गुणवत्ता और उपलब्ध्ता में सुधर किया है, जबकि नमामि गोदा के सहयोग से 2015-16 के नासिक कुंभ मेले को हरित कुंभ में बदलने से लाऽों लोगों तक पहुँच बनाई, जिससे स्थिरता और अपशिष्ट प्रबंध्न को बढ़ावा मिला। कासलगंगा परियोजना के ब्रांड एंबेसडर के रूप में उन्होंने सोलापुर जिले में एक स्थायी जल स्रोत प्रदान किया जा सका, जिससे आजीविका और कृषि में वृ(ि हुई। इगतपुरी में उनके वृक्षारोपण अभियान में 15,000 से अध्कि पेड़ लगाए गए, जिससे युवाओं को पर्यावरण संरक्षण में शामिल किया गया। कोपर गाँव में गोदावरी को सापफ करने के उनके पाँच साल के प्रयासों ने स्थानीय समुदायों के लिए नदी की शु(ता को बहाल किया।