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जल प्रहरी 2024 नामांकन प्रक्रिया का शुभारंभ : सावित्री बाई फुले विद्यापीठ के पांच लाख छात्र छात्राएं जल संरक्षण के संदेश में होंगे शामिल, ​कुलगुरू प्रोफेसर ड्रा सुरेश गोसावी

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नेट कार्बन जीरो दिवस पर जलवायु अनुकूलन कार्यक्रम में नहीं किया बिजली का उपयोग
पुणे: देश में जनसंख्या दबाव में प्राकृतिक संसाधनों विशेष तौर पर जल उपयोग को लेकर जहां अत्यधिक सजग होने का समय है वहीं पर्यावरण संरक्षण के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण जरूरी है।

पूरे वर्ष खेती, औद्योगिक इलाकों और आम जनमानस को पीने का पानी मुहैया हो सके इसके लिए जल संरक्षण, संवर्धन के प्रयास आवश्यक है। इस दिशा में काम कर रहे लोग सच्चे जल प्रहरी हैं। यह विचार पुणे विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर डॉक्टर सुरेश गोसावी ने जल प्रहरी समारोह 2024 के नामांकन लोकार्पण कार्यक्रम में व्यक्त किये।

प्रोफेसर गोसावी ने महाराष्ट्र सहित समूचे देशवासियों से अपील की है कि मानसून के दौरान व उससे पहले धरती मां के गर्भ में जिन जल संरक्षकों ने पानी को उतारा है वह अभिनंदन एवं सम्मान के पात्र हैं और जल प्रहरी समारोह का मंच ऐसे विशिष्ट जनों के लिए ही है।

प्रो. गोसावी ने जल प्रहरी, जलवायु अनुकूलन प्रकल्प से साझेदारी की घोषणा करते हुए कहा सावित्री बाई फुले विद्यापीठ अपने करीबन साढ़े पांच लाख छात्रों को इस मुहिम से जोड़कर महाराष्ट्र व दुनिया के अपने बाकी कैम्पस तक जल संरक्षण, जलवायु संरक्षण के संदेश को पहुँचायेगा।

जल प्रहरी के संयोजक अनिल सिंह ने मौजूद जल संरक्षकों विनोद बोधनकर, नरेंद्र चुघ सहित सभी जल प्रहरियों का अभिनंदन करते हुए कहा कि विद्यापीठ का पर्यावरण विभाग जहां विश्वविद्यालय में पर्यावरण गतिविधियों का संचालन कर रहा है वहीं विभाग के जल संरक्षण के प्रयास भी अनुकरणीय हैं।

इस अवसर पर उन्होंने विद्यार्थी को संबोधित करते हुए कहा कि भविष्य में जल संकट ना हो इसकी पूरे जिम्मेदारी आने वाली पीढ़ी पर है और आप लोग इस जिम्मेदारी को निभाते हुए जल संरक्षण संवर्धन के लिए हर जल स्रोत को जीवित रखें इसके प्रयास आज से ही शुरू कर दें।

उन्होंने बताया कि जल प्रहरी समारोह का आयोजन अक्तूबर माह में दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में होगा जहां देश भर के जल संरक्षक अपने अपने कार्यो का विवरण प्रस्तुत करेंगे और समूचा राष्ट्र की ओर से उन्हें प्रतिष्ठित जल प्रहरी सम्मान प्रदान किया जाएगा। कार्यक्रम में भारत सरकार के कई केंद्रीय मंत्री, अधिकारी एवम विदेशी राजदूत आमंत्रित है।

आयकर आयुक्त नितिन बघमोड़े ने बताया कैसे सतारा जिले के कई सैंकड़ों गांवों में पानी के टैंकर इस्तेमाल नहीं होते। जल संरक्षण कार्यो के सकारात्मक परिणाम आये हैं।

इस अवसर पर सरकारीटेल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमेय साठे ने भी बच्चों से अपील करते हुए कहा कि दुनिया के कई देशों में छात्रों ने पर्यावरण व जल क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और एक पेड़ मां के नाम या जल संरक्षण के कार्यों में छात्रों को आगे आना चाहिए।

कार्यक्रम में मौजूद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रेमंड दुरई स्वामी, डॉक्टर संजय काले ने जहां विश्वविद्यालय की गतिविधियों की जानकारी दी वही सभी विशिष्ट जनों ने एक पेड़ मां के नाम श्रृंखला के तहत वृक्षारोपण भी किया इस अवसर पर नेशनल वाटर मिशन के अधिकारी ऑनलाइन जुड़े रहे। नेट जीरो कार्बन डे के अवसर बिना बिजली आपूर्ति के पूरा कार्यक्रम किया गया और सिर्फ माइक के लिए बिजली का इस्तेमाल किया गया

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