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पानी से मिला रोजगार, कृषि, व्यापार, इको टूरिज्म एवं धरती हुई पानीदार

पानी से मिला रोजगार, कृ षि, व्यापार, इको टूरिज्म एवं धरती हुई पानीदार

पानी से मिला रोजगार, कृ षि, व्यापार, इको टूरिज्म एवं धरती हुई पानीदार

भदोही जनपद के विकास खंड ज्ञानपुर के ग्राम पंचायत सोबरी में प्रवेश करने वाली मोरवा नदी न केवल क्षेत्र की जलवायु और पारिस्थितिकी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है बल्कि इसके विकास कार्य स्थानीय समुदाय के लिए समृद्धि का स्रोत भी बन रहे हैं। यह नदी विभिन्न ग्राम पंचायतों से होकर बहती है और अंततः वरुणा नदी में मिल जाती है।

इस नदी के किनारे किए गए विकास कार्यों से न केवल जल संसाधनों में वृद्धि हुई है बल्कि स्थानीय रोजगार के अवसर भी पैदा हुए हैं। मोरवा नदी की कुल लंबाई 43.80 किमी है और यह जिले के 46 ग्राम पंचायतों के क्षेत्र से होकर गुजरती है। यह नदी के किनारे बसे गांवों के लिए पानी का मुख्य स्रोत है, जो कृषि, घरेलू उपयोग और पशुपालन के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करती है। नदी का पानी कृषि के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और यह क्षेत्र की फसल उत्पादन क्षमता को बढ़ाता है।

मनरेगा योजना के तहत मोरवा नदी में खुदाई और जीर्णोद्धार कार्य किए गए हैं। जिले में मोरवा नदी 40 ग्राम पंचायतों में बहती है, जिसमें से 31 ग्राम पंचायतों को मनरेगा योजना के तहत शामिल कर जीर्णोद्धार कार्य कराया गया है। इस प्रकार वित्तीय वर्ष 2022-24 तक इस परियोजना में कुल 44.750 किमी क्षेत्र में कार्य कराया गया है, जिसमें 5.17 करोड़ रुपए व्यय हुए हैं। इस परियोजना के तहत 325700 मानव दिवस सृजित किए गए हैं। इन कार्यों से स्थानीय निवासियों को रोजगार के नए अवसर मिले हैं। मनरेगा योजना के तहत ग्रामीणों को मजदूरी करने का अवसर मिला है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। इस परियोजना से न केवल आर्थिक लाभ हुआ है, बल्कि सामाजिक समरसता को भी बढ़ावा मिला है।

मोरवा नदी में जीर्णोद्धार कार्यों का पर्यावरणीय महत्व भी है। नदी के किनारों पर वृक्षारोपण, मृदा संरक्षण और जल स्तर बनाए रखने के उपाय पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं। ये कार्य नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करते हैं, और स्थानीय जैव विविधता को संरक्षित करने में मदद करते हैं। मोरवा नदी में जीर्णोद्धार कार्यों से भी जल संरक्षण में काफी मदद मिली है। नदियों की सफाई और खुदाई से पानी का प्रवाह बेहतर होता है, जिससे जल स्रोत पुनर्जीवित होते हैं। इससे न केवल पीने के पानी की उपलब्धता बढ़ती है, बल्कि सिंचाई के लिए भी पानी की उपलब्धता बढ़ती है।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा मन की बात में स्रोत नदी के कार्य की सराहना से प्रेरित होकर तथा मोरवा नदी के जीर्णोद्धार से जल संरक्षण व नये जल स्रोतों के सृजन में मिली सफलता से अब कल्याणी नदी जनपद उन्नाव के पुनरुद्धार पर भी कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। उक्त परियोजना के तहत अब तक 21416 मानव मनरेगा दिवस सृजित करते हुए 4465 मी0 पुनरुद्धार का कार्य पूर्ण किया गया है। शेष क्षेत्र का कार्य शीघ्र-अतिशीघ्र पूर्ण करने का प्रयास किया जा रहा है।

अमृत सरोवर कार्यक्रम के अंतर्गत जनपद में अब तक 255 अमृत सरोवर बनवाने का कार्य पूर्ण कर लिया गया है जिनमें औसतन 338252 घन मी० जल संचयन क्षमता की वृद्धि हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में भूगर्भ जल स्तर ऊपर आया है एवं खेतों की सिंचाई के क्षेत्रफल में भी विस्तार हुआ है। स्मार्ट सिटी योजना वाराणसी के तहत गंगा रिवर-फ्रंट पर बने प्रमुख घाटों का पुनरुद्धार कराया गया जिससे आमजन सामान्य को अपने धार्मिक स्नान में सहूलियत हुई तथा जल संचयन व नए पानीदार स्रोतों के सृजन में वृद्धि हुई है। अस्सी नदी के पुनरुद्धार कार्य हेतु भारत सरकार द्वारा पूर्व में सम्मानित किया गया है। इसके अतिरिक्त वाराणसी शहर में 6 तालाबो का पुनरुद्धार कर Ecotourism की Site के रूप में विकसित किया गया।

उपरोक्त किए गए कार्यों से आम जन सामान्य के साथ ही पालतू पशुओं व जंगली पशु, पक्षियों को लाभ हुआ। अमृत सरोवर से लगभग 1400 स्रोत पानीदार हुए एवं नदी के जीर्णोद्धार से 100 से अधिक पानीदार स्रोत हुए तथा लगभग 75000 लोगों को पानी उपलब्ध हुआ।

मोरवा नदी का जीर्णोद्धार एवं विकास कार्य न केवल क्षेत्र की जलवायु को बेहतर बनाने में सहायक है, बल्कि स्थानीय समुदाय की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए भी महत्वपूर्ण है। इससे न केवल जल संसाधनों का समुचित प्रबंधन सुनिश्चित होता है, बल्कि स्थानीय निवासियों को रोजगार के अवसर भी मिलते हैं।

इस प्रकार मोरवा नदी न केवल जलस्रोत बल्कि विकास, रोजगार एवं सामाजिक समृद्धि का प्रतीक बन गई है। इसके माध्यम से भदोही जिले में संभावनाओं का एक नया द्वार खुल गया है, जिससे भविष्य में और भी अधिक समृद्धि आएगी।

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