वर्षा जल संचयन
Related Articles
- President greets soldiers, ex-Servicemen on Army Day
- Govt approves FRP of Rs 290/qtl for sugarcane farmers 0
- Russian oil exports to India quadrupled in March as Europe shuns cargoes 0
एक दषक से ज्यादा समय से अपने व्यक्तिगत समय और व्यक्तिगत संसाधनों से उत्तर प्रदेश तथा भारतवर्ष के अन्य 15 प्रान्तो में बिना किसी एनजीओ अथवा सरकारी मदद के देश के 232 स्थानों पर जल संरक्षण का प्रशिक्षण अभियान चलाया है।
देश के 3335 स्थानों पर जल संरक्षण के लिए पानी रिचार्ज कुआ, तालाबी तथा शुद्धीकृत वर्षा जल टंकिया बनाई। पुलिस विभाग के कठिन कर्तव्यो का निर्वहन करते हुए “सजल भारत अभियान” चलाया तथा “मिशन महाइन्द्र कूप” चलाया। इसके अतिरिक्त देश के कुल 35 प्रान्तों के प्रशिक्षु जल संरक्षण का प्रशिक्षण इनसे प्राप्त कर चुके हैं।
लखनऊ और झााँसी में छत पर का उर्जामुक्त शुद्ध वर्षाजल सीधे बहुमंजली इमारत में, इस तरह के इनके माॅडल कार्यरत हैं। गौशाला के लिये शून्यप्रायः, लागत में हौदी का निर्माण कराया गया। सकरार गौशाला झााँसी में यह कार्यरत है। शौचालय के पास पानी की टंकी में वर्षाजल गिरने के पहले प्री-फिल्ट्रेशन करके सिर्फ कार्बन फिल्टर का इस्तेमाल करके शौचालय के लिये इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे नये मकानों में छत पर भी बनाया जा सकता है या जमीन से सात फीट ऊपर पिलर पर बनाया जा सकता है। सम्प बनाने में भी खर्च होगा, जमीन भी खर्च होगी, पैसा भी खर्च होगा। इसीलिये बेहतर है कि तीन फिट, चार फिट, छः फिट या सात फिट ऊाँचे पिलर पर पानी की टंकी शौचालय के पास बनाई जाए। साल के लगभग कुछ महीने तक भूजल जल दोहन नहीं होगा।
वर्षाजल संचयन के लिये तैयार डिजाइन के तालाब बनाए जाने से अधिक समय तक वर्षाजल तालाब में बना रहता है तथा कम से कम 25 प्रतिशत क्षेत्र से तालाब में निर्बाधित रूप से वर्षाजल भर सकते है। इसपर इनकी डीजाइन के मुताबिक बाष्पीकरण से होने वाले जल को 25 से 75 प्रतिशत तक बचाया जा सकता है।
नाली प्रबन्धन प्रणाली में सुधार करने की जरूरत है। जिससे नाले का पानी नदियो में न मिले। उसी प्रकार बारीश का पानी शहरों के सीवर लाइन में न मिले। घरों में एसी लगाने के बजाए प्राकृतिक शीतलन का प्रबन्ध करना चाहिये। इसके लिये अपने मकान के बाहर अधिक से अधिक दिशाओं में पेड़ पौधे लगाए जाएाँ, खासकर नीम के पेड़।
जल की बर्बादी एक आपराधिक कृत्य है। इस प्रकार का कानून बनाया जाना चाहिये। इसी प्रकार तालाब तथा नदी पर अतिक्रमण करना एक संज्ञेय और गैर जमानती अपराध बनाने के लिए कानून में संशोधन किया जाए जिसके लिये सजा 02 साल से लेकर अधिकतम 10 साल तक हो।
महेंद्र मोदी, आईपीएस, गोमती नगर (उत्तर प्रदेश)